लेखन न केवल शौक बल्कि ज़िंदगी को जीने की ज़रुरत बन गयी है .नहीं बर्दाश्त कर पाती हूँ बहुत कुछ ऐसा अनर्गल प्रलाप जो कोई भी किसी भी कुछ न कहने वाले को कहे जाये और बस वहीँ चोट करती हूँ जहाँ देखती हूँ कि अत्याचार कुछ ज्यादा बढ़ रहा है और पा जाती हूँ समाचार पत्रों में स्थान और उस स्थान को कैसे सहेजूँ तो बना लिया एक ब्लॉग और किया आपसे इसको भी साझा .आप मेरे इस प्रयास के बारे में क्या सोचते हैं ज़रूरी समझें तो बताएं अवश्य .
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1 टिप्पणी:
nice post .thanks to give information .
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