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सोमवार, 26 दिसंबर 2022

श्री राहुल गांधी - एक महान राष्ट्रनायक दैनिक जनवाणी दिनाँक 27 दिसंबर 2022

  



        श्री राहुल गांधी जी आज भारत में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक आम भारतीयों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ चुके हैं. भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने भारत को तोड़ने का इरादा रखने वालों के दिलों को बहुत तगड़ा झटका दिया है और इसी कारण राहुल गांधी जी के विरोधी कभी राहुल गांधी द्वारा महिलाओं, ल़डकियों से हाथ मिलाने को लेकर उन पर कटाक्ष करते हैं तो कभी यात्रा में मात्र सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी बताकर राहुल गांधी जी के भारत जोड़ने के प्रयास की हँसी उड़ाते हैं ऊपर से गोदी मीडिया के द्वारा भरसक कोशिश की जाती है कि भारत जोड़ो यात्रा को भारत में कोई प्रचार न मिले किन्तु आज भारत जोड़ो यात्रा एक क्रांति बन चुकी है और इतिहास गवाह है कि क्रांति कभी दबाई नहीं जा सकती है बल्कि क्रांति को जितना दबाया जाता है वह उतना ही रौद्र रूप लेकर उभरती है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम इसकी गवाही देता है और आज भारत जोड़ो यात्रा भी एक ऐसी ही क्रांति बन गई है जिसमें कॉंग्रेस पार्टी के युवा नेता पूर्व कॉंग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी ने अपनी पूरी जीवन शक्ति लगा दी है.

                  कन्याकुमारी से आरंभ होकर भारत जोड़ो यात्रा जैसे ही उत्तर की ओर बढ़ी, सियासी हल्कों में हलचल आरंभ हो गई और राजस्थान में उमड़ पड़े जनसमुदाय ने राहुल गांधी जी के विरोधियों में आग सी लग गई और शुरू हो गई कोरोना के फैलने की खबरें. जिस भारत जोड़ो यात्रा में अब तक विरोधियों के अनुसार इक्का-दुक्का ही लोग आ रहे थे उसे रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री राहुल गांधी जी को भारत जोड़ो यात्रा रोकने के लिए पत्र लिखने बैठ गए.

      यही नहीं राहुल गांधी जी की राष्ट्रीयता यहीं पर नहीं रुकी बल्कि यात्रा के दिल्ली आने पर वे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के समाधि स्थल पर गए और यहां उन्होंने एक बार फिर दिखा दिया कि उनमें है वह भावना-जो एक सच्चे और महान राष्ट्रनायक में होनी चाहिए.

      राहुल गांधी सर्वप्रथम अपने पिता और देश के सातवें प्रधान मंत्री स्व श्री राजीव गांधी जी की समाधि स्थल वीर भूमि पर गए, इंदिरा गांधी जी की समाधि शक्ति स्थल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट, पंडित नेहरू की समाधि शांति वन, लाल बहादुर शास्त्री जी की समाधि विजय घाट, चौधरी चरण सिंह जी की समाधि स्थल किसान घाट पर गए, पर यह कोई महान कार्य नहीं था क्योंकि ये सभी कॉंग्रेस पार्टी के आदर्श चरित्र और नेता रहे हैं, राहुल गांधी जी की महानता कही जाएगी उनका भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी जी की समाधि स्थल सदैव अटल पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित करना. ऐसा नहीं है कि स्व अटल बिहारी वाजपेयी जी उनकी श्रद्धांजली के पात्र नहीं थे, अटल बिहारी वाजपेयी जी सदैव भारतीयों के हृदय में सम्मान के पात्र हैं और रहेंगे किन्तु देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जी क्या भाजपाई प्रधानमंत्री और भाजपाई राष्ट्रपति के द्वारा सम्मान के पात्र नहीं होने चाहिए. वर्तमान और  वर्ष 2000 के बाद का देश का इतिहास गवाह है भाजपा द्वारा बनाए गए पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जी के जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर देश में कहीं और का प्रवास कार्यक्रम तय कर लेते थे और इनकी समाधि स्थल पर जाकर अपनी पुष्पांजलि अर्पित नहीं करते थे और यही रवैय्या भाजपा के वर्तमान नेतृत्व का है जो देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले कॉंग्रेस पार्टी के इन महान प्रधानमंत्रियों की जयंती और पुण्यतिथि पर ट्विटर पर ट्वीट द्वारा ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं.

        ऐसे में, एक राष्ट्रनायक वही होना चाहिए जो दलगत राजनीति से परे रहता हो, केवल राष्ट्र का सम्मान ही सर्वोपरि रखता हो और कॉंग्रेस पार्टी से जुड़े होने पर भी राहुल गांधी के द्वारा भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की समाधि पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित करना उन्हें राष्ट्रनायक की छवि प्रदान करता है और एक आम भारतीय आज उनमें अपने भारत राष्ट्र का महान नायक होने का अक्स देख रहा है. राहुल गांधी जिंदाबाद 🇮🇳

शालिनी कौशिक

 एडवोकेट

कैराना (शामली) 



रविवार, 24 अप्रैल 2022

दैनिक जनवाणी दिनाँक 25 अप्रैल 2022

 


 



22 अप्रैल 2022 को सोनीपत कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े गवाह वेद प्रकाश की हत्या हो जाती है और कहा जाता है कि हत्यारे पेशेवर नहीं थे, सतर्क होता तो बच सकती थी वेद प्रकाश की जान.

      ऐसा नहीं है कि न्यायालय परिसर में यह कोई पहली घटना हो. उत्तर प्रदेश में तो ये घटनाएं आम हैं. कभी शाहजहांपुर में अधिवक्ता की हत्या हो जाती है तो कभी गोरखपुर में दुष्कर्म आरोपी की, गाजियाबाद में कचहरी में कड़ी सुरक्षा के बावजूद वाहनों की चोरी हो जाती हैं किन्तु दो चार दिन महीने सुरक्षा मजबूत कर कचहरी फिर वापस लौट आती है लापरवाही की तरफ, किसी अगली घटना के इंतजार में.

     देखा जाए तो कचहरी न्याय पाने का एक केंद्र है और वहां न्यायाधीशों, वकीलों, मुन्शी, न्यायालयों के कर्मचारियों, स्टाम्प वेंडर्स, बैनामा लेखकों आदि न्यायालय कार्य करने वाले और वकीलों के कार्य करने वालों का और कचहरी में आने जाने वालों के चाय नाश्ते आदि का प्रबंध करने वालों का होना एक अनिवार्य आवश्यकता है किन्तु कचहरी में भीख मांगने वालों का आना, मेवे आदि बेचने वालों का आना, कान साफ करने वालों का आना कचहरी को सामान्य बाजार की श्रेणी में ला देता है और उसकी सुरक्षा को खतरे में डाल देता है और सबसे खतरनाक है ऐसे में बगैर किसी जांच - पड़ताल पूछताछ के गैर जरूरी लोगों का कचहरी परिसर में प्रवेश. क्या ज़रूरी नहीं है ऐसे में ये उपाय -

1 - सभी वकीलों, मुंशियों आदि के लिए आई कार्ड हों.

2- वकील अपने मुवक्किल और गवाहों को कचहरी परिसर में आने का पत्र जारी करें, जिसे गेट पर तैनात पुलिस को दिखाकर ही मुवक्किल और गवाह कचहरी में प्रवेश कर सकें.

3- जिन लोगों का कचहरी के किसी कार्य से ताल्लुक नहीं है, उन्हें केवल सामान या सेवा बेचने के लिए या भीख मांगने के लिए ही कचहरी में आना है, उनका कचहरी में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए.

4- कचहरी में प्रवेश करने वाले की जांच पड़ताल कर ही प्रवेश कराया जाए और यदि उसके पास हथियार या कोई भी घातक वस्तु हों तो उसके लाने का कारण पता कर गेट पर ही रजिस्टर में दर्ज कर हथियार जमा कराया जाए और गैर जरूरी होने पर हथियार सहित कचहरी में प्रवेश न करने दिया जाए. 

       हमें ये प्रतिबंध नागवार गुजर सकते हैं किन्तु ये सब जरूरी हैं न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ और सुरक्षित रूप से कायम रखने के लिए और मैं समझती हूं कि सतर्कता के तौर पर इन्हें अपनाया जाना चाहिए.

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना